..ज़रूरी तो नहीं

हर बात को समझना ज़रूरी तो नहीं,

हर शक़्स को परख़ना ज़रूरी तो नहीं।

ज़रुरी है वक़्त रहते सबक़ सीख़ लें,

हर वक़्त का ठहरना ज़रूरी तो नहीं।

है बरक़त इश्क़ की इबादत में लेकिन,

हर ख़्वाब का सँवरना ज़रूरी तो नहीं।

है मुम्किन हासिल हो ये मर्हला मुझे,

राहे इश्क़ में भटकना ज़रूरी तो नहीं।

थक गए इम्तिहान-ए-ज़िंदगी दे कर,

हर मोढ़ पर आज़माना ज़रूरी तो नहीं।

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