सर्दी की ओस में कुछ यादें ताज़ा हैं,
वो कही अनकही कुछ बातें ताज़ा हैं।
माना सूख गए हैं अश्क़ तुम्हारे भी,
इन आँखों में अभी कुछ आहें ताज़ा हैं।
मुर्झा गए हैं फूल अब कब्र पर हमारे,
फूल-ए-सेहरा में कुछ सासें ताज़ा हैं।
सर्दी की ओस में कुछ यादें ताज़ा हैं,
वो कही अनकही कुछ बातें ताज़ा हैं।
माना सूख गए हैं अश्क़ तुम्हारे भी,
इन आँखों में अभी कुछ आहें ताज़ा हैं।
मुर्झा गए हैं फूल अब कब्र पर हमारे,
फूल-ए-सेहरा में कुछ सासें ताज़ा हैं।